30.9.12

इस्लाम में पड़ोसी के अधिकार


हजरत मुहम्मद सल्ल. ने पड़ोसियों की खोज खबर लेने की बड़ी ताकीद की है और इस बात पर बहुत बल दिया है कि कोई मुसलमान अपने पड़ोसी के कष्ट और दुख से बेखबर ना रहे। एक अवसर पर आपने फरमाया-' वह मोमिन नहीं जो खुद पेट भर खाकर सोए और उसकी बगल में उसका पड़ोसी भृूखा रहे।'
इस्लाम में पड़ोसी के साथ अच्छे व्यवहार पर बड़ा बल दिया गया है। परंतु इसका  उद्देश्य यह नहीं है कि पड़ोसी की सहायता करने से  पड़ोसी भी समय पर काम आए,  अपितु इसे एक मानवीय कत्र्तव्य ठहराया गया है। इसे आवश्यक करार दिया गया है और यह  कत्र्तव्य पड़ोसी ही तक सीमित नहीं है बल्कि किसी साधारण मनुष्य से भी असम्मानजनक व्यवहार न करने की ताकीद की गई है।
पवित्र कुरआन में लिखा है-'और लोगों से बेरुखी न कर।' (कुरआन, ३१:१८)          
पड़ोसी के साथ अच्छे व्यवहार का विशेष रूप से आदेश है। न केवल निकटतम पड़ोसी के साथ, बल्कि दूर वाले पड़ोसी के साथ भी अच्छे व्यवहार की ताकीद आई है। सुनिए-
 ' और अच्छा व्यवहार करते रहो माता-पिता के साथ, सगे संबंधियों के साथ, अबलाओं के साथ, दीन-दुखियों के साथ, निकटतम और दूर के पड़ोसियों के साथ भी।         (कुरआन, ४:३६)
पड़ोसियों के साथ अच्छे व्यवहार के कई कारण हैं- एक विशेष बात यह है कि मनुष्य को हानि पहुंचने की आशंका भी उसी व्यक्ति से अधिक होती है जो निकट हो। इसलिए उसके संबंध को सुदृढ और अच्छा बनाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कत्र्तव्य है ताकि पड़ोसी सुख और प्रसन्नता का साधन हो न कि दुख और कष्ट का कारण।

29.9.12

दिलों को इत्मीनान

विश्व हदय दिवस के  मौके पर पेश है इस्लाम में दिल संबंधी दी गई कुछ हिदायतें-
अल्लाह का डर रखो। निसन्देह अल्लाह दिलों तक की बातें जानता है। कुरआन ५:७
जिसे अल्लाह सीधे रास्ते पर लाना चाहता है,उसका दिल ईश्वरीय आदेशों के लिए खोल देता है और जिसे पथभ्रष्ट करना चाहता है,उसके दिल को तंग कर देता है। कुरआन-६:१२५
ताकि जो लोग परलोक को नहीं मानते,उनके दिल शैतान की ओर झुके और वे उसे पसंद कर लें और जो कमाई उन्हें करनी है कर लें। कुरआन-६:११३

लोगों तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से नसीहत आ चुकी है,और दिलों की बीमारियों की दवा और आस्था रखने वालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता। कुरआन-१०:५७
अल्लाह जानता है जो कुछ तुम लोगों के दिलों में है और अल्लाह जानने वाला और सहनशील है। कुरआन-३३:५१
अल्लाह ही है जिसने ईमान वालों के दिलों को सुकून पहुंचाया ताकि उनका ईमान और बढ़ जाए। कुरआन-४८:४

जो दिलवाला है या कान लगाकर दिल से सुनता है, उसके लिए इन बातों में शिक्षा है। कुरआन-५०:३७

20.9.12

खतना नहीं खतरनाक, बचाता है खतरनाक बीमारियों से

 अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था 'द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स ने अपने ताजा बयान में कहा है कि नवजात बच्चों में किए जाने वाले खतना या सुन्नत के सेहत के लिहाज से बड़े फायदे हैं। सच भी है कि समय-समय पर दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है। खतना एक शारीरिक शल्यक्रिया है जिसमें आमतौर पर मुसलमान नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है।
इस समय खतना (सुन्नत) यूरोपीय देशों में बहस का विषय बना हुआ है। खतने को लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। इस पर विवाद तब शुरू हुआ जब जर्मनी के कोलोन शहर की जिला अदालत ने अपने एक फैसले में कहा कि शिशुओं का खतना करना उनके शरीर को कष्टकारी नुकसान पहुंचाने के बराबर है। फैसले का जबर्दस्त विरोध हुआ। इस मुद्दे का अहम पहलू है हाल ही आया अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था 'द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स' का ताजा बयान। अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था 'द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स ने अपने ताजा बयान में कहा है कि नवजात बच्चों में किए जाने वाले खतना या सुन्नत के सेहत के लिहाज से बड़े फायदे हैं। सच भी है कि समय-समय पर दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है। खतना एक शारीरिक शल्यक्रिया है जिसमें आमतौर पर मुसलमान नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है।