20.9.12

खतना नहीं खतरनाक, बचाता है खतरनाक बीमारियों से

 अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था 'द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स ने अपने ताजा बयान में कहा है कि नवजात बच्चों में किए जाने वाले खतना या सुन्नत के सेहत के लिहाज से बड़े फायदे हैं। सच भी है कि समय-समय पर दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है। खतना एक शारीरिक शल्यक्रिया है जिसमें आमतौर पर मुसलमान नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है।
इस समय खतना (सुन्नत) यूरोपीय देशों में बहस का विषय बना हुआ है। खतने को लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। इस पर विवाद तब शुरू हुआ जब जर्मनी के कोलोन शहर की जिला अदालत ने अपने एक फैसले में कहा कि शिशुओं का खतना करना उनके शरीर को कष्टकारी नुकसान पहुंचाने के बराबर है। फैसले का जबर्दस्त विरोध हुआ। इस मुद्दे का अहम पहलू है हाल ही आया अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था 'द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स' का ताजा बयान। अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था 'द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स ने अपने ताजा बयान में कहा है कि नवजात बच्चों में किए जाने वाले खतना या सुन्नत के सेहत के लिहाज से बड़े फायदे हैं। सच भी है कि समय-समय पर दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है। खतना एक शारीरिक शल्यक्रिया है जिसमें आमतौर पर मुसलमान नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है।

वैज्ञानिकों ने दिए सबूत
शिकागो स्थित बालरोग चिकित्सकों के इस बयान का आधार वैज्ञानिक सबूत हैं जिनके आधार पर यह साफतौर पर कहा जा सकता है कि जो बच्चे खतने करवाते हैं, उनमें कई तरह की बीमारियां होने की आशंका कम हो जाती है। इनमें खासतौर पर छोटे बच्चों के यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाले इंफेक्शन, पुरुषों के गुप्तांग संबंधी कैंसर, यौन संबंधों के कारण होने वाली बीमारियां, एचआईवी और सर्वाइकल कैंसर का कारक ह्युमन पैपिलोमा वायरस यानि एचपीवी शामिल हंै। एकेडेमी उन अभिभावकों का समर्थन करता है जो अपने बच्चे का खतना करवाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि खतना किए गए पुरुषों में संक्रमण का जोखिम कम होता है क्योंकि लिंग की आगे की चमड़ी के बिना कीटाणुओं के पनपने के लिए नमी का वातावरण नहीं मिलता है.
एड्स और गर्भाशय कैंसर से हिफाजत
महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का कारण ह्युमन पैपिलोमा वायरस होता है। यह वायरस लिंग की उसी चमड़ी के इर्द-गिर्द पनपता है जो संभोग के दौरान महिलाओं में प्रेषित हो जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में अप्रेल 2002 में प्रकाशित एक आर्टिकल का सुझाव था कि खतने से महिला गर्भाशय कैंसर को बीस फीसदी तक कम किया जा सकता है। खतने से एचआईवी और एड्स से हिफाजत होती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के ही मई 2000 के एक आर्टिकल में उल्लेख था कि खतना किए हुए पुरुष में एचआईवी संक्रमण का खतरा आठ गुना कम होता है।
 हजार में से एक पुरुष लिंग कैंसर का शिकार हो जाता है लेकिन खतना इंसान की इस बीमारी से पूरी तरह हिफाजत करता है। नवंबर 2000 में बीबीसी टेलीविजन ने यूगांडा की दो जनजातीय कबीलों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रसारित की। इसके मुताबिक उस कबीले के लोगों में एड्स नगण्य पाया गया जो खतना करवाते थे, जबकि दूसरे कबीले के लोग जो खतना नहीं करवाते थे, उनमें एड्स के मामले ज्यादा पाए गए। इस कार्यक्रम में बताया गया कि कैसे लिंग के ऊपर चमड़ी जो खतने में हटाई जाती है, उसमें संक्रमण फैलने और महिलाओं में प्रेषित होने की काफी आशंका रहती है।
आम है अमरीका में नवजात बच्चों का खतना
अमरीकी समाज का एक बड़ा वर्ग बेहतर स्वास्थ्य के लिए इस प्रथा को मानने लगा है। नेशनल हैल्थ एण्ड न्यूट्रिशन एक्जामिनेशन सर्वेज की ओर से अमरीका में 1999 से 2004 तक कराए गए सर्वे में 79 फीसदी पुरुषों ने अपना खतना करवाया जाना स्वीकार किया। नेशनल हॉस्पीटल डिस्चार्ज सर्वे के  अनुसार अमरीका में 1999  में 65 फीसदी नवजात बच्चों का खतना किया गया। अमरीका के आर्थिक और सामाजिक रूप से सम्पन्न परिवारों में जन्में नवजात बच्चों में खतना ज्यादा पाया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 30 फीसदी पुरुषों का खतना हुआ है।
सांसदों ने करवाया संसद में खतना

यही नहीं एचआईवी की रोकथाम के लिए अफ्रीका के कई देशों में पुरुषों में खतना करवाने को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए चलाए गए एक अभियान के तहत जून 2012 में कई सांसदों ने संसद के भीतर खतना करवाया। इसके लिए संसद के भीतर एक अस्थायी चिकित्सा शिविर लगाया गया है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार जिम्बाब्वे की दो मुख्य पार्टियों के कम-से-कम 60 सांसदों ने बारी-बारी से आकर चिकित्सकीय परामर्श लिया और फिर शिविर में जाकर परीक्षण करवाया। अभियान की शुरुआत में बड़ी संख्या में सांसदों ने हिस्सा लेते हुए एचआईवी टेस्ट करवाते हुए इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए खतना करवाने का संकल्प लिया था।

13 टिप्पणियाँ:

HAKEEM YUNUS KHAN ने कहा…

अछि मालूमात देती हुई पोस्ट है.

manojsah ने कहा…

नमस्कार महोदय.. आपने मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी दी इसके लिए धन्यवाद.. और ऐसा नहीं है कि मैं इस्लाम का विरोधी हूं मैं इस्लाम की इज्जत करता हूं लेकिन साथ ही में महिलाओं के खतने का विरोधी हूं और आपसे अपील करता हूं कि आप भी एक बार अल्लाह के खातिर ही सही इस मुद्दे पर किसी महिला की राय लें. उनको कैसा दर्द होता है क्या यातना होती है.. इसका सही आंकलन वहीं कर पाएगी हम और आप नहीं.. सधन्यवाद

http://manojkumarsah.jagranjunction.com/

बेनामी ने कहा…

dear manoj,female ka khatna nhi hota hai, only male

इस्लामिक वेबदुनिया ने कहा…


@ Manoj Ji
मैं आपके ब्लॉग पर प्रतिक्रिया में अच्छी तरह बता चुका हूं कि इस्लाम में महिलाओं का खतना होता ही नहीं फिर भी मुझे ताज्जुब होता है आपकी समझ पर कि आप मुझे अजीब राय दे रहे हैं।

बेनामी ने कहा…

मनोज सा.
अव्वल तो आपके क्लियर हो गया होगा कि मुसलमानों में महिलाओं का खतना नहीं होता। रही बात पुरुषों के खतने में होने वाले दर्द की तो यह वह थोड़ा बहुत दर्द उस शख्स को बहुत सी परेशानियों से सुरक्षित रखता है।
दर्द तो बच्चा जनते वक्त महिला के बहुत होता है, इसका मतलब यह तो नहीं कि वह बच्चा जनना छोड़ दे। उसके इस दर्द के पीछे बहुत बड़ा सुकून छिपा होता है।

बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

ye sahi hai ki khatna se kai bimariyon se bacha ja sakta hai, lekin ye bataiye ki jb ling ke uper ki chamadi itni nuksaan dayak hai to allah ne banai hi kyon?
kyonki allah to bekar ki chezon ko banane or vyarth ke kaam krne se paak hai.
dusra ye bataiye ki khatne ke baare mein quran ya hadees mein kahan likha hai.

इस्लामिक वेबदुनिया ने कहा…

@ भाई बेनामी
सबसे पहले तो मैं जवाब में देरी होने के लिए माफी चाहूंगाा। दरअसल मैं हाल ही आपके इस सवाल को देख पाया।
आपका यह कहना कि अगर लिंग की खतने में हटाई जाने वाली चमड़ी इतनी नुकसानदायक है तो अल्लाह ने इसे बनाया ही क्यों?
गौर करने वाली बात यह है कि अल्लाह ने इंसानी जिस्म में कई ऐसी चीजें और बनाई हैं जिनको हम हटा देते हैं, जैसे नाखून और आंतरिक हिस्से के बाल। इन चीजों को हटाना पाकीजगी के लिए जरूरी है। लेकिन इसके मायने यह कतई नहीं कि ये बेकार चीजें हैं और इनको बनाया ही नहीं जाना चाहिए। इंसान नाक से गंदगी निकालता है, बदन के दूसरे हिस्सों से गंदगी दूर करता है, तो क्या हमें यह कहना चाहिए कि अल्लाह ने यह गंदगी बनाई ही क्यों ताकि इसे दूर करने की जरूरत ही नहीं पड़ती?
आपका यह कहना कि अल्लाह बेकार चीजें नहीं बनाता, एकदम सही है। लेकिन हम क्या जानें कि जिन चीजों को हटाने के लिए कहा गया है वो बेकार ही है? अल्लाह ही बेहतर जानता है कि वह किस तरह फायदेमंद है? गर्भावस्था में फायदेमंद है, पैदाइश के शुरुआती सालों में या फिर उस चीज के होने और फिर हटने में ही कोई फायदा छिपा हो।
अल्लाह के पैगम्बर और रसूल अल्लाह के मैसेज के जरिए हमें यही तो सिखाते हैं कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
दूसरा आपका यह कहना कि खतने के बारे में कुरआन और हदीस में कहां लिखा है।
बुखारी की यह हदीस है-
अबू हुरैरा रिवायत करते हैं कि मैंने पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. से यह कहते हुए सुना है कि ये पांच आदतें फितरत का हिस्सा रही हैं-खतना कराना, शर्मगाहों के बाल काटना, मूंछे छंटवाना, नाखून काटना और बगल के बाल काटना। (बुखारी, बुक-72, हदीस-779)

पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-पैगम्बर इब्राहिम अलै. ने खुद अपना खतना किया, उस वक्त उनकी उम्र अस्सी साल थी। (बुखारी, मुस्लिम, अहमद)

इस्लामिक वेबदुनिया ने कहा…

@ भाई बेनामी
सबसे पहले तो मैं जवाब में देरी होने के लिए माफी चाहूंगाा। दरअसल मैं हाल ही आपके इस सवाल को देख पाया।
आपका यह कहना कि अगर लिंग की खतने में हटाई जाने वाली चमड़ी इतनी नुकसानदायक है तो अल्लाह ने इसे बनाया ही क्यों?
गौर करने वाली बात यह है कि अल्लाह ने इंसानी जिस्म में कई ऐसी चीजें और बनाई हैं जिनको हम हटा देते हैं, जैसे नाखून और आंतरिक हिस्से के बाल। इन चीजों को हटाना पाकीजगी के लिए जरूरी है। लेकिन इसके मायने यह कतई नहीं कि ये बेकार चीजें हैं और इनको बनाया ही नहीं जाना चाहिए। इंसान नाक से गंदगी निकालता है, बदन के दूसरे हिस्सों से गंदगी दूर करता है, तो क्या हमें यह कहना चाहिए कि अल्लाह ने यह गंदगी बनाई ही क्यों ताकि इसे दूर करने की जरूरत ही नहीं पड़ती?
आपका यह कहना कि अल्लाह बेकार चीजें नहीं बनाता, एकदम सही है। लेकिन हम क्या जानें कि जिन चीजों को हटाने के लिए कहा गया है वो बेकार ही है? अल्लाह ही बेहतर जानता है कि वह किस तरह फायदेमंद है? गर्भावस्था में फायदेमंद है, पैदाइश के शुरुआती सालों में या फिर उस चीज के होने और फिर हटने में ही कोई फायदा छिपा हो।
अल्लाह के पैगम्बर और रसूल अल्लाह के मैसेज के जरिए हमें यही तो सिखाते हैं कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
दूसरा आपका यह कहना कि खतने के बारे में कुरआन और हदीस में कहां लिखा है।
बुखारी की यह हदीस है-
अबू हुरैरा रिवायत करते हैं कि मैंने पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. से यह कहते हुए सुना है कि ये पांच आदतें फितरत का हिस्सा रही हैं-खतना कराना, शर्मगाहों के बाल काटना, मूंछे छंटवाना, नाखून काटना और बगल के बाल काटना। (बुखारी, बुक-72, हदीस-779)

पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-पैगम्बर इब्राहिम अलै. ने खुद अपना खतना किया, उस वक्त उनकी उम्र अस्सी साल थी। (बुखारी, मुस्लिम, अहमद)

बेनामी ने कहा…

एकदम सही ओर सटीक जवाब हैं।

अबकि ने कहा…

सही पर क्या खतना युवा अवस्था में भी किया जा सकता हैं ?

ajit ने कहा…

Saurab sahab....

Hazrat ibrahim alaihissalam ne to 80 baras ki aayu me apna khatna kiye

To isse pusti hoti hai ke aap koi bhi awasta me khatna kara sakte hain

बेनामी ने कहा…