अगर आप पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं और हर वक्त आप ताजा वुजू बनाते हैं तो आप खुशकिस्मत हैं। क्योंकि वुजू स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद कारगर नुस्खा है। वुजू की आदत हमें कई बड़ी-बड़ी परेशानियों से बचाए रखती है।
ऐ ईमान वालो! जब तुम नमाज के लिए तैयार हो तो अपने मुंह और कोहनियों तक हाथ धो लिया करो और अपने सिर पर मस्ह कर (गीला हाथ फेर) लिया करो और अपने पैरों को टखनों तक धो लिया करो। और अगर नापाक हो तो (नहाकर) पाक हो लिया करो, और अगर तुम बीमार हो या सफर में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने औरतों से सोहबत (सहवास) की हो और तुमको पानी न मिल सके तो साफ मिट्टी से काम लो। उस पर हाथ मारकर अपने मुंह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुमको किसी तरह की तंगी में नहीं डालना चाहता बल्कि वह चाहता है कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुम पर पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुजार बनो। (कुरआन-5:6)
वुजू कुरआन के कई चमत्कारों में से एक बेहतरीन और उपयोगी नुस्खा है। जीव वैज्ञानिकों की मुश्किल से चालीस साल पहले हुई खोजों से ही हम यह जान पाए हैं कि वुजू में इंसानी सेहत के लिहाज से कितने चमत्कारिक फायदे छिपे हुए हैं।
इंसानी सेहत के लिए मुख्य रूप से तीन तरह के फायदे हैं जो उसकी बॉडी को धोने से जुड़े हैं। शरीर धोने के ये फायदे इनसे जुड़े हैं-
संचार प्रणाली, प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर का इलेक्ट्रोस्टेटिक बेलेंस।
संचार प्रणाली- इंसानी बॉडी में संचार प्रणाली दोतरफा होती है। पहले दिल शरीर के हर हिस्से की उत्तक कोशिकाओं को खून सप्लाई करता है। फिर यह जैविक इस्तेमाल किया गया खून एकत्र करता है। अगर यह रिवर्स संचालन (दूसरा संचार) गड़बड़ा जाता है तो ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और ऐसे हालात में इंसान की मौत तक हो जाती है। बेहतर सेहत और दोहरी संचार प्रणाली के लिए जरूरी है कि रक्त वाहिकाएं सही तरीके से अपना काम अंजाम देती रहें। रक्त वाहिकाएं लचीले ट्यूब की तरह होती हैं जो दिल से दूर पतली शाखाओं के रूप में फैली रहती हैं। अगर ये पतले ट्यूब कठोर हो जाते हैं और अपना लचीलापन खो देते हैं तो दिल पर दबाव बढ़ जाता है। मेडिकल लैंग्वेज में इसे arteriosclerosis ( धमनी कठिनता) के रूप में जाना जाता है।
रक्त वाहिकाहों के लचीलापन खोने और कठोर होने के कई कारण होते हैं। उम्र बढऩे और शारीरिक गिरावट, कुपोषण, नर्वस रिएक्शन्स आदि के चलते रक्त वाहिकाहों पर ऐसा बुरा असर पड़ता है।
रक्त वाहिकाओं का सिकुडऩा और कठोर होना एकदम से ही नहीं हो जाता बल्कि यह विकृति एक लंबा समय लेती है। ये वाहिकाएं जो दिल से दूर दिमाग, हाथ और पैरों तक फैली रहती है, इन रक्त वाहिकाओं में धीरे-धीरे यह शुरू होता है और लगातार ऐसा होने पर एक लंबे टाइम बाद इन रक्त वाहिकाओं में यह विकृति पैदा होती है।
ऐ ईमान वालो! जब तुम नमाज के लिए तैयार हो तो अपने मुंह और कोहनियों तक हाथ धो लिया करो और अपने सिर पर मस्ह कर (गीला हाथ फेर) लिया करो और अपने पैरों को टखनों तक धो लिया करो। और अगर नापाक हो तो (नहाकर) पाक हो लिया करो, और अगर तुम बीमार हो या सफर में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने औरतों से सोहबत (सहवास) की हो और तुमको पानी न मिल सके तो साफ मिट्टी से काम लो। उस पर हाथ मारकर अपने मुंह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुमको किसी तरह की तंगी में नहीं डालना चाहता बल्कि वह चाहता है कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुम पर पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुजार बनो। (कुरआन-5:6)
वुजू कुरआन के कई चमत्कारों में से एक बेहतरीन और उपयोगी नुस्खा है। जीव वैज्ञानिकों की मुश्किल से चालीस साल पहले हुई खोजों से ही हम यह जान पाए हैं कि वुजू में इंसानी सेहत के लिहाज से कितने चमत्कारिक फायदे छिपे हुए हैं।
इंसानी सेहत के लिए मुख्य रूप से तीन तरह के फायदे हैं जो उसकी बॉडी को धोने से जुड़े हैं। शरीर धोने के ये फायदे इनसे जुड़े हैं-
संचार प्रणाली, प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर का इलेक्ट्रोस्टेटिक बेलेंस।
संचार प्रणाली- इंसानी बॉडी में संचार प्रणाली दोतरफा होती है। पहले दिल शरीर के हर हिस्से की उत्तक कोशिकाओं को खून सप्लाई करता है। फिर यह जैविक इस्तेमाल किया गया खून एकत्र करता है। अगर यह रिवर्स संचालन (दूसरा संचार) गड़बड़ा जाता है तो ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और ऐसे हालात में इंसान की मौत तक हो जाती है। बेहतर सेहत और दोहरी संचार प्रणाली के लिए जरूरी है कि रक्त वाहिकाएं सही तरीके से अपना काम अंजाम देती रहें। रक्त वाहिकाएं लचीले ट्यूब की तरह होती हैं जो दिल से दूर पतली शाखाओं के रूप में फैली रहती हैं। अगर ये पतले ट्यूब कठोर हो जाते हैं और अपना लचीलापन खो देते हैं तो दिल पर दबाव बढ़ जाता है। मेडिकल लैंग्वेज में इसे arteriosclerosis ( धमनी कठिनता) के रूप में जाना जाता है।
रक्त वाहिकाहों के लचीलापन खोने और कठोर होने के कई कारण होते हैं। उम्र बढऩे और शारीरिक गिरावट, कुपोषण, नर्वस रिएक्शन्स आदि के चलते रक्त वाहिकाहों पर ऐसा बुरा असर पड़ता है।
रक्त वाहिकाओं का सिकुडऩा और कठोर होना एकदम से ही नहीं हो जाता बल्कि यह विकृति एक लंबा समय लेती है। ये वाहिकाएं जो दिल से दूर दिमाग, हाथ और पैरों तक फैली रहती है, इन रक्त वाहिकाओं में धीरे-धीरे यह शुरू होता है और लगातार ऐसा होने पर एक लंबे टाइम बाद इन रक्त वाहिकाओं में यह विकृति पैदा होती है।