15.1.09

मस्तिष्क के बारे में कुरआन का नजरिया


सिर का सामने का हिस्सा योजना बनाने और अच्छे व बुरे व्यवहार के लिए प्रेरित करता है। मस्तिष्क का यही पार्ट सच और झूठ बोलने के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों को पिछले साठ सालों में इस बात का पता चला है जबकि कुरआन तो चौदह सौ साल पहले ही यह बता चुका है
अल्लाह ने कुरआन में पैगम्बर मुहम्मद सल्ललाहो अलेहेवस्सल्लम को काबा में इबादत करने से रोकने वाले विरोधियों की एक बुराई का जिक्र कुछ इस तरह किया है- कदापि नहीं,यदि वह बाज नहीं आया तो हम उसके नासिया (सिर के सामने के हिस्से) को पकड़कर घसीटेंगे। झूठे, खताकार नासिया। (कुरआन ९६:१५-१६)
सवाल उठता है कि कुरआन ने मस्तिष्क के सामने के हिस्से को ही झूठा और गुनाहगार क्यों कहा है?कुरआन ने उस व्यक्ति को गुनाहगार और झूठा कहने के बजाय उस हिस्से को दोषी क्यों माना? पेशानी और झूठ व गुनाह में आखिर ऐसा क्या संबंध है कि कुरआन ने व्यक्ति के बजाय पेशानी को झूठ और गुनाह के लिए जिम्मेदार माना?

14.1.09

इस्लाम में नारी



-डा मुहम्मद इक़बाल सिद्दीक़ी
पश्चिमी विचारधारा ने आज के इन्सान को सबसे अधिक प्रभावित किया है। आज इसका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। खान-पान, रहन-सहन, पोशाक और फैशन, यहाँ तक कि हमारी बोल-चाल को भी इसने प्रभावित किया है। स्त्री के बारे में भी पश्चिमी सोच ने सारी दुनिया को प्रभावित किया है। नारी-स्वतंत्रता का नारा दे कर वासना लोलुप पुरुषों ने हर मैदान में नारी का शोषण किया है। कहा गया कि स्त्री और पुरुष बराबर हैं इसलिए नैतिक पद और मानवीय अधिकारों ही नहीं सांस्कृतिक जीवन में भी नारी को वही सब करने का अधिकार हो जो पुरुष करते हैं और नैतिक बंधन भी पुरुष के समान ही हों। औरतों को भी खाने कमाने की वैसी ही आज़ादी हो जैसी पुरुषों को हो। स्त्री, पुरुष के समान अधिकार तभी पा सकेगी जब स्त्री-पुरुष बे-रोक टोक आपस में मिल सकेंगे।
बराबरी के इस भ्रामक विचार ने औरत के व्यंिव को तहस-नहस कर के रख दिया। प्रकृति ने उसे विशेष शारीरिक बनावट और भिन्न मानसिक एवं भावनात्मक अस्तित्व प्रदान कर के उसके ज़िम्मे जो काम सोंपे थे उन्हें उसने नज़र अन्दाज़ करना शुरू कर दिया।