22.12.10

करिश्माई है आब ए जमजम

 हम आपको रूबरू करवा रहे हैं उस इंजीनियर शख्स से जिसने करीब चालीस साल पहले खुद आब ए जमजम का निरीक्षण किया था। जमजम पानी का सैंपल यूरोपियन लेबोरेट्री में भेजा गया । जांच में जो बातें आई उससे साबित हुआ कि जमजम पानी इंसान के लिए रब की बेहतरीन नियामत है। आम पानी से अलग इसमें इंसानों के लिए बड़े-बड़े फायदे छिपे हैं। इंजीनियर तारिक हुसैन की जुबानी
हज का मौका आने पर मुझे करिश्माई पानी जमजम की याद ताजा हो जाती है। चलिए मै आपको देता हूं मेरे द्वारा किए गए इसके अध्ययन से जुड़ी जानकारी। 1971 की बात है। मिस्र के एक डॉक्टर ने यूरोपियन प्रेस को लिखा कि मक्का का जमजम पानी लोगों के पीने योग्य नहीं है। मैं तुरंत समझा गया था कि मिस्र के इस डॉक्टर का प्रेस को दिया यह बयान मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित है। दरअसल इसके इस बयान का आधार था कि काबा समुद्रतल से नीचे है और यह मक्का शहर के बीचोंबीच स्थित है। इस वजह से मक्का शहर का गंदा पानी नालों से इस कुएं में आकर जमा होता रहता है।
आबे जमजम पर जापानी वैज्ञानिक का अध्ययन
   यह खबर सऊदी शासक किंग फैसल तक पहुंची। उनको यह बहुत ज्यादा अखरी और उन्होंने मिस्र के इस डॉक्टर के इस प्रोपेगण्डे को गलत साबित करने का फैसला किया। उन्होंने तुरंत सऊदिया के कृषि और जलसंसाधन मंत्रालय को इस मामले की जांच करने और जमजम पानी का एक सैंपल चैक करने के लिए यूरोपियन लेबोरेट्री में भी भेजे जाने का आदेश दिया। मंत्रालय ने जेद्दा स्थित पावर डिजॉलेशन प्लांट्स को यह जिम्मेदारी सौंपी। मैं यहां केमिकल इंजीनियर के रूप में कार्यरत था और मेरा काम समुद्र के पानी को पीने काबिल बनाना था। मुझे जमजम पानी को चैक करने की जिम्मेदारी सौपी गई। मुझे याद है उस वक्त मुझे जमजम के बारे में कोई अंदाजा नहीं था। ना यह कि इस कुएं में किस तरह का पानी है। मैं मक्का पहुंचा और मैंने काबा के अधिकारियों को वहां आने का अपना मकसद बताया। उन्होंने मेरी मदद के लिए एक आदमी को लगा दिया। जब हम वहां पहुंचे तो मैंने देखा यह तो पानी का एक छोटा कुण्ड सा था। छोटे पोखर के समान। 18 बाई 14 का यह कुआं हर साल लाखों गैलन पानी हाजियों को देता है। और यह सिलसिला तब से ही चालू है जब से यह अस्तित्व में आया। यानी कई शताब्दियों पहले हजरत इब्राहीम के वक्त से ही।