‘‘...मुहम्मद (इन्सानी) बराबरी, इन्सानी भाईचारे और तमाम मुसलमानों के भाईचारे के पैग़म्बर थे। ...जैसे ही कोई व्यक्ति इस्लाम स्वीकार करता है पूरा इस्लाम बिना किसी भेदभाव के उसका खुली बाहों से स्वागत करता है, जबकि कोई दूसरा धर्म ऐसा नहीं करता। ...हमारा अनुभव है कि यदि किसी धर्म के अनुयायियों ने इस (इन्सानी) बराबरी को दिन-प्रतिदिन के जीवन में व्यावहारिक स्तर पर बरता है तो वे इस्लाम और सिर्फ़ इस्लाम के अनुयायी हैं। ...मुहम्मद ने अपने जीवन-आचरण से यह बात सिद्ध कर दी कि मुसलमानों में भरपूर बराबरी और भाईचारा है। यहाँ वर्ण, नस्ल, रंग या लिंग (के भेद) का कोई प्रश्न ही नहीं। ...इसलिए हमारा पक्का विश्वास है कि व्यावहारिक इस्लाम की मदद लिए बिना वेदांती सिद्धांत—चाहे वे कितने ही उत्तम और अद्भुत हों—विशाल मानव-जाति के लिए मूल्यहीन (Valueless) हैं...।’’
स्वामी विवेकानंद (विश्व-विख्यात धर्मविद्)
—‘टीचिंग्स ऑफ विवेकानंद, पृष्ठ-214, 215, 217, 218)
अद्वैत आश्रम, कोलकाता
स्वामी विवेकानंद (विश्व-विख्यात धर्मविद्)
—‘टीचिंग्स ऑफ विवेकानंद, पृष्ठ-214, 215, 217, 218)
अद्वैत आश्रम, कोलकाता
6 टिप्पणियाँ:
ye to sabko pata hai ji .
बहुत अच्छा पोस्ट। बहुत लाभदायक। अल्लाह करे यह बातें दिल तक राह पाएं।
Islam ka matlab he salamati aman
Yahi vaja he dunia me aj sab se jayada islam fail ta he log islam ko dil se kabul karte he kiyuki har dharam me likha he god is one aur jo log samaj te he vo islam kabul karte he aur jo islam ko nai samaj te hai vo islam ko badnam karte he lekin hum musalmano ko koi fark nai padta jitna islam ko badnam kiya jata hai itna hi jayada faulta he al hamdulilah
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