7.12.12

इस्लाम के विरुद्ध जितना दुष्प्रचार हुआ, वह उतना ही फैला - राजेन्द्र नारायण लाल

‘‘...संसार के सब धर्मों में इस्लाम की एक विशेषता यह भी है कि इसके विरुद्ध जितना दुष्प्रचार  हुआ किसी अन्य धर्म के विरुद्ध नहीं हुआ । सबसे पहले तो महाईशदूत मुहम्मद साहब की जाति कु़रैश ही ने इस्लाम का विरोध किया और अन्य कई साधनों के साथ दुष्प्रचार  और अत्याचार का साधन अपनाया। यह भी इस्लाम की एक विशेषता ही है कि उसके विरुद्ध जितना दुष्प्रचार  हुआ वह उतना ही फैलता और उन्नति करता गया तथा यह भी प्रमाण है—इस्लाम के ईश्वरीय सत्य-धर्म होने का। इस्लाम के विरुद्ध जितने दुष्प्रचार  किए गए हैं और किए जाते हैं उनमें सबसे उग्र यह है कि इस्लाम तलवार के ज़ोर से फैला, यदि ऐसा ही  है तो संसार में अनेक धर्मों के होते हुए इस्लाम चमत्कारी रूप से संसार में कैसे फैल गया? इस प्रश्न या शंका का संक्षिप्त उत्तर तो यह है कि जिस काल में इस्लाम का उदय हुआ उन धर्मों के आचरणहीन अनुयायियों ने धर्म को भी भ्रष्ट कर दिया था। अतः मानव कल्याण हेतु ईश्वर की इच्छा द्वारा इस्लाम सफल हुआ और संसार में फैला, इसका साक्षी इतिहास है...।’’

‘‘...इस्लाम को तलवार की शक्ति से प्रसारित होना बताने वाले (लोग) इस तथ्य से अवगत होंगे कि अरब मुसलमानों के ग़ैर-मुस्लिम विजेता तातारियों ने विजय के बाद विजित अरबों का इस्लाम धर्म स्वयं ही स्वीकार कर लिया। ऐसी विचित्र घटना कैसे घट गई? तलवार की शक्ति जो विजेताओं के पास थी वह इस्लाम से विजित क्यों हो गई...?’’
‘‘...मुसलमानों का अस्तित्व भारत के लिए वरदान ही सिद्ध हुआ। उत्तर और दक्षिण भारत की एकता का श्रेय मुस्लिम साम्राज्य, और केवल मुस्लिम साम्राज्य को ही प्राप्त है। मुसलमानों का समतावाद भी हिन्दुओं को प्रभावित किए बिना नहीं रहा। अधिकतर हिन्दू सुधारक जैसे रामानुज, रामानन्द, नानक, चैतन्य आदि मुस्लिम-भारत की ही देन है। भक्ति आन्दोलन जिसने कट्टरता को बहुत कुछ नियंत्रित किया, सिख धर्म और आर्य समाज जो एकेश्वरवादी और समतावादी हैं, इस्लाम ही के प्रभाव का परिणाम हैं। समता संबंधी और सामाजिक सुधार संबंधी सरकरी क़ानून जैसे अनिवार्य परिस्थिति में तलाक़ और पत्नी और पुत्री का सम्पत्ति में अधिकतर आदि इस्लाम प्रेरित ही हैं...।’’
                                       राजेन्द्र नारायण लाल (एम॰ ए॰ (इतिहास) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)
                                             —‘इस्लाम एक स्वयंसिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था’
                                                       पृष्ठ 40,42,52 से उद्धृत
                                              साहित्य सौरभ, नई दिल्ली, 2007 ई॰
किताब  ‘इस्लाम एक स्वयंसिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था’  पढ़ने  के लिए यहाँ क्लिक  कीजिये  

11 टिप्पणियाँ:

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) ने कहा…

उत्कृष्ट लेखन !!

dr. shama khan ने कहा…

nice & progressive thought...

बेनामी ने कहा…

इस्लाम से झुठा धर्म कोई
नही है महुम्मद गौरी 16 बार हारा और 16 बार ही कुरान की झुठी कसम खाकर बचा
औरंगजेब ने शिवाजी को बुलाया और धोखे से बंदी बना लिया है
रही फैलने की बात महामारी तेजी से फैलती है
और अच्छी चीजे आराम सें
जय महाकाल

Unknown ने कहा…

इस्लाम हक़ है।

बेनामी ने कहा…

bhai saab ek baar ap www.islamicwebdunia.com me jakar dek lo islam ky h

Unknown ने कहा…

swami dayanad dwara rachit arya samaj ko pad lijiye aapki sabhi dharmik samasyaon ka samadhan ho jayega.
14 chapter in satyarth praksh me puri detauil bhari padi islam ke baren me

jassi saggo ने कहा…

सिख और आर्या समाज इस्लाम की देण नहीं है क्योकि इनकी विचार धरा इस्लाम से अलग है परमेश्वर और कुरान के अल्लाह में फर्क है क्योकि अल्लाह गैर मुसलमानों के लिए नहीं है इसलिए इस्लाम और गैर मुस्लमान इकठे नहीं हो सकते इसका परमानं मुस्लिम देशो में गैर मुसलमानों की हालत देख कर ही लगाया जाता है

बेनामी ने कहा…

raja jay chand pahla hindu raja tha jisne muslim ko Bharat par atteck karne bulwaya tha to hindu drsh drohi nahi hua

बेनामी ने कहा…

1400 sal me 2.6billium muslim but
billiun sal me only 0.81billiun hindu
1400 sal me world ki harek desh me waha k mul niwasi muslim hue but
billiun sal me only one conry india

बेनामी ने कहा…

Bharat me 2% brahman raaj karte he 85% obc st & sc ki koi tawajju nahi he
parliyament me 23 minister me se 12 miniser brahman yani 50%(about) brahman miniser jabki unka total peacentage 2% he

Shaan ने कहा…

Be grateful and say
alhamdulillah
All prise belongs to allah